लोककला एवं संस्कृति - छत्तीसगढ़ में प्रचलित लोक जीवन कला जो कि समाज द्वारा मान्य होते है लोक
संस्कृति कहलाती है। लोककला एवं संस्कृति के अंतर्गत लोकगीत, लोकनृत्य,
छत्तीसगढ़ का त्यौहार एवं पर्व, छत्तीसगढ़ के आभूषण तथा व्यंजन आते है।
लोकगीतों का वर्गीकरण
उत्सव सबंधी गीत - राउत नाचा के दोहे, सुआ गीत, छेर छेरा गीत।
धर्म व पूजा गीत - भोजली गीत, जंवारा गीत, मातासेवा गीत, नागपंचमी गीत, गौरा-गौरी गीत, जस गीत।
संस्कार गीत - विवाह गीत, सोहर गीत, पठौनी गीत।
मनोरंजन गीत - कर्मा गीत, बास गीत, डंडा गीत, ददरिया गीत।
छत्तीसगढ़ के लोकगीत
1. पण्डवानी
महाभारत कथा का छत्तीसगढ़ी लोक रूप पंडवानी कहलाता है। पण्डवानी के रचयिता सबलसिंह चौहान है। पण्डवानी गीत अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध है। पण्डवानी गीत के मुख्य नायक भीम है। पण्डवानी गीत के मुख्य नायिका द्रौपदी है। पण्डवानी के लिए किसी विशेष अवसर की आवश्यकता नही होती। पण्डवानी में एक मुख्य गायक, एक हुंकार भरने वाला रागी तथा वाद्य पर संगत करने वाले लोग होते है।
• रूप - महाभारत कथा का छत्तीसगढ़ी लोकरूप पण्डवानी है।
• कथा - पाण्डवों की कथा का छत्तीसगढ़ी में गायन शैली।
• गीतरूप - झाड़ूराम देवांगन (पंडवानी के पितामह) द्वारा।
• मुख्य नायक - भीम
• मुख्य नायिका - द्रौपदी
• प्रमुख वाद्ययंत्र - तम्बूरा एवं करताल है।
• पण्डवानी की शैली दो प्रकार के प्रचलित है -
A. वेदमती शैली -
वेदमती शैली में केवल गायन कार्य होता है।
A. वेदमती शैली -
वेदमती शैली में केवल गायन कार्य होता है।
वीरासन पर बैठकर गायन
• वेदमती शैली के प्रमुख कलाकार निम्नलिखित है -
1. रितु वर्मा
2. झाडुराम देवांगन
3. पुनाराम निषाद
4. रेवाराम साहू
B. कापालिक शैली -
कापालिक शैली में गायन के साथ - साथ नृत्य भी होता है।
• कापालिक शैली के प्रमुख कलाकार निम्नलिखित है -
1. तीजन बाई
2. शांति बाई
3. उषाबाई
2. ददरिया
ददरिया को छत्तीसगढ़ी लोकगीतों का राजा कहते है। इसे श्रम गीत भी कहा जाता है, यह गीत सवाल जवाब शैली पर आधारित है। इस गीत में फसल बोते समय युवक-युवतियां द्वारा अपने मन की बात को पहुँचाते है। यह गीत श्रृंगार प्रधान होता है। ददरिया को प्रेम गीत/प्रणय (Love Song) के रूप में भी जाना जाता है। बैगा जनजाति ददरिया गीत के साथ नृत्य करते है। ददरिया की स्वीकृति छत्तीसगढ़ी लोक जीवन और साहित्य में प्रेम काव्य के रूप में हुई है।• ददरिया गीत के प्रमुख कलाकार निम्नलिखित है -
1. लक्ष्मण मस्तूरिया
2. दिलीप षडंगी
3. केदार यादव
3. पंथी गीत
पंथी गीत छत्तीसगढ़ अंचल में सतनामी पंथ द्वारा गाया जाने वाला विशेष लोकगीत है। पंथी नृत्य में नर्तक कलाबाजी करते है। पंथी नृत्य के अंतिम समय में पिरामिड बनाते है।• प्रमुख गीतकार -
स्वर्गीय देवदास बंजारे पंथी नृत्य के जनक कहलाते है।
पंथी नृत्य को अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति प्राप्त करने का श्रेय स्वर्गीय देवदास बंजारे जी को जाता है।
• प्रमुख वाद्ययंत्र - मांदर, झांझ आदि है।
4. चंदैनी गायन
चंदैनी गायन छत्तीसगढ़ अंचल में लोरिक चंदा के प्रेम प्रसंग पर आधारित है।• कलाकार - चिन्तादास
• वाद्ययंत्र - टिमकी, ढोलक
• गीत - नृत्य का कथानक लोरिक चंदा है।
• द्वारा - राऊत जाति
• पार्श्व संगीत - रवान यादव ने लोक नाट्य चंदैनी गोंदा के पार्श्व
संगीत दिया है।
• प्रदर्शन - चंदैनी गोंदा कला प्रदर्शन का संबंध दंतेवाड़ा से है।
5. भरथरी गीत
यह लोकगीत राजा भरथरी और रानी पिंगला के वैराग्य जीवन पर आधारित है।• कलाकार - सुरुजबाई खाण्डे
• वाद्ययंत्र - इकतारा व सारंगी
• नोट -
भरथरी 'लोकगीत विधा' के रूप में जाना जाता है।
भरथरी गायक गीत में स्वयं को योगी कहता है।
6. ढोला मारू
यह ढोला और मारू का प्रेम प्रसंग गायन है। किन्तु यह राजस्थानी लोककला है।• कलाकार - सुरुजबाई खाण्डे एवं जगन्नाथ कुम्हार।
8. बांस गीत
बांस गीत दुख या करुण का गीत है जो छत्तीसगढ़ में राउत जाति द्वारा गायी जाती है। बांस गीत में महाभारत के पात्र कर्ण और मोरध्वज व शीतबसंत का वर्णन होता है। बांस गीत में रागी गायक और वादक तीनों होते है।• प्रमुख कलाकार - केजुराम यादव, नकुल यादव।
• वाद्ययंत्र - बाँस (मोहराली)
• भोजली गीत में गंगा का नाम बार-बार आता है।
• गीत - आ हो देवी गंगा, ओ देवी लहर तुरंगा।
9. भोजली गीत
भोजली पर्व रक्षा बंधन के दुसरे दिन भादो माह कृष्ण पक्ष के प्रथम दिन होता है।• भोजली गीत में गंगा का नाम बार-बार आता है।
• गीत - आ हो देवी गंगा, ओ देवी लहर तुरंगा।
• विशेष - यह भूमि जल से सम्बंधित गीत है।
10. साधौरी गीत
स्वस्थ्य संतान के मनोकामना हेतु, गर्भधारण के सातवें माह में गाया जाने वाला एक
लोक गीत है।
11. गोपल्ला गीत
यह गीत कल्चुरी वंश से संबंधित है।
12. सुआ गीत
सुआ गीत दीपावली के पूर्व शुरु होकर दीपावली के अन्तिम दिवस तक चलता है। सुआ गीत सुआ नृत्य के समय गायी जाती है। सुआ नृत्य में केवल महिलाएं भाग लेती है। सुआ गीत शिव और गौरी के प्रतीक होते है। सुआ गीत को मुकुटधर पाण्डेय ने छत्तीसगढ़ का गरबा नृत्य कहा है। यह गीत श्रृंगार प्रधान होता, इसमें कोई भी वाद्ययंत्र नहीं बजाय जाता है।13. लोरी गीत
बच्चों को सुलाने के समय गाया जाता है।
14. जंवारा गीत
चैत्र नवरात्रि में जंवारा गीत गाया जाता है और जंवारा निकाला जाता है।
• वाद्ययंत्र - रुजू, ठुंगरु, मांदर है।
15. देवार गीत
देवार गीत देवार जाति के लोग गाते है। देवार छत्तीसगढ़ की भ्रमण शील जाति या धुमन्तु जाति है। कभी इधर तो कभी उधर, इसीलिये शायद इनके गीतों में इतनी रोचकता है, इनके आवाज़ में इतनी जादू है। देवार लोगों के बारे में अनेकों कहनियाँ प्रचलित है जैसे एक कहानी में कहा जाता है कि देवार जाति के लोग गोंड राजाओ के दरबार में गाया करते थे। किसी कारण वश इन्हें राजदरबार से निकाल दिया गया था और तबसे धुमन्तु जीवन अपनाकर कभी इधर तो कभी उधर दुमते रहते है। जिन्दगी को और नज़दीक से देखते हुये गीत रचते है, नृत्य करते है। उनके गीतों में संधर्ष है, आनन्द है, मस्ती है।• वाद्ययंत्र - रुजू, ठुंगरु, मांदर है।
16. मांझी गीत
राज्य के जशपुर क्षेत्र की पहाड़ियों में बसे लोगों द्वारा गाए जाने वाला यह
नृत्य-गीत अत्यंत कर्ण-प्रिय होता है।
17. बारहमासी गीत
इस गीत को गाने का कार्यक्रम जेठ माह से प्रारंभ होता है और इसमें ॠतुओं का वर्णन
एवं महिमा व्यक्त की जाती है।
18. मृत्यु संस्कार गीत
इस प्रकार के गीत राज्य के कबीर-पंथी समाज में प्रचलित हैं, जो "आत्मा' को गुरु
के बोल सुनाने हेतु गाए जाते हैं।
19. भजन गीत
इन गीतों में संतों की निर्गुण एवं सगुण उपासना का भावनापूर्ण वर्णन होता है।
20. सोहर गीत
जन्म संस्कार विषयक गीत को "सोहर गीत' कहा जाता है। किंतु यह गीत गर्भावस्था की
सुनिश्चितता के साथ ही जन्मोत्सव तक गाए जाते हैं। इस प्रकार के गीत पुत्र जन्म
की अपेक्षा में अधिक गाए जाते हैं।
21. बरुआ गीत
उपनयन संस्कार के समय गाए जाने वाले गीत को "बरुआ गीत' कहा जाता है।
22. जसगीत
देवी पूजन हेतु गीत
23. माता सेवा गीत
नवरात्रि के समय देवी पूजा पर गाया जाता है।
24. बसदेवा गीत
श्रवण कुमार से सम्बंधित कथानक गीत है।
25. फाग गीत
यह एक लोकगीत है जिसका गायन होली के अवसर पर किया जाता है।
इसका गायन फाल्गुन माह में किये जाने के कारण इसे फाग गीत कहा जाता है।
इस गीत में राधा कृष्ण जी का वर्णन किया किया जाता है यह मूल रूप से उत्तरप्रदेश का लोकगीत है।
26. सवनाही गीत
सवनाही गीत सावन के महीने में गया जाता है यह वर्षा ऋतु का प्रमुख गीत है।
सावन माह में जादू टोना तथा बीमारी से गांव के लोगों तथा सुरक्षित रखने के लिए
आषाढ़ माह के अंतिम रविवार अथवा सावन माह के प्रथम रविवार को सवनाही त्यौहार मनाया
जाता है।
27. मड़ई गीत
यह गीत राउत जाति के द्वारा गाया जाता है।
मड़ई मयूर पँख एवं कौड़ियों से सजा हुआ बाँस का स्तंभ होता है।
28. नागमत
छत्तीसगढ़ में नागपंचमी में गाया जाने वाला गीत जिसमें नागदेव पूजा अर्चना
किया जाता है।
29. नचौनी गीत
नारी के विरह वेदना, संयोग-वियोग का गीत
30. विवाह गीत
विवाह के अवसर पर सभी रस्मों के समय निम्न प्रकार के गीत गाया जाता है।
छत्तीसगढ़ विवाह गीत
चुलमाटी - विवाह के आरम्भ में माटी खुदाई के समय
टेलचढ़ी - जब वर एवं कन्या को तेल हल्दी लगाया जाता है।
मायन गीत - मायन के समय गाया जाने वाला गीत।
बारात गीत - बारात के समय गाया जाने वाला गीत।
परघौनी गीत - बारात के स्वागत के समय गाया जाता है।
भड़ौनी गीत - खाना खाने के समय वर पक्ष द्वारा हास परिहास हेतु गाया जाता है।
भाँवर गीत - फेरा लेते समय गाया जाने वाला गीत।
टिकावन गीत - नए दंपत्ति को उपहार देने के समय गाये जाने वाला गीत।
बिदाई गीत - बिदाई के समय पठौनि गीत गाई जाती है।
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